- दुश्मनों पर मौत बनकर बरसेगा 'नागास्त्र', कितना खतरनाक है नागास्त्र-1 ड्रोन, जिसके लिए भारतीय सेना ने दिया ऑर्डर

दुश्मनों पर मौत बनकर बरसेगा 'नागास्त्र', कितना खतरनाक है नागास्त्र-1 ड्रोन, जिसके लिए भारतीय सेना ने दिया ऑर्डर

भारतीय सेना ने सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (एसडीएएल) को 450 नागस्त्र-1आर खरीदने का ऑर्डर दिया है। डीआरडीओ द्वारा विकसित यह ड्रोन दुश्मन को ढूंढकर मार गिराने में सक्षम है। इसे मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया गया है। इससे सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की रणनीतिक बढ़त मजबूत होगी।

नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर में अपनी उपयोगिता साबित कर चुका नागस्त्र अब भारतीय सेना की मारक क्षमता में और इजाफा करेगा। सेना ने सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (एसडीएएल) को 450 नागस्त्र-1आर खरीदने का ऑर्डर दिया है। डीआरडीओ द्वारा विकसित यह ड्रोन दुश्मन को ढूंढकर मार गिराने में सक्षम है। इसे मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया गया है। इससे सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की रणनीतिक बढ़त मजबूत होगी।

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नागास्त्र एक आत्मघाती ड्रोन है। इसके काम करने का तरीका दूसरे ड्रोन से काफी अलग है। यह 'कामिकेज' मोड पर काम करता है, यानी दुश्मन पर सीधा हमला करने के बाद यह खुद को भी नष्ट कर लेता है। नागस्त्र जीपीएस सिस्टम से लैस है, जिसके जरिए यह अपने टारगेट को ढूंढकर नष्ट कर देता है। जीपीएस सिस्टम की मदद से लक्ष्य पर सटीक निशाना लगा सकता है ड्रोन

यह ड्रोन हवा में मंडराता है और जीपीएस सिस्टम की मदद से लक्ष्य पर बेहद सटीकता से निशाना साधता है। नागास्त्र एक किफायती सिस्टम है, जिसमें लॉन्चर सिस्टम का दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। इन सिस्टम का परीक्षण लद्दाख और झांसी के पास बबीना समेत कई जगहों पर किया जा चुका है।


नागास्त्र ड्रोन की खूबियां


इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सैनिकों की जान को खतरे में डाले बिना दुश्मन के ट्रेनिंग कैंप या लॉन्च पैड पर आसानी से हमला कर सकता है।

यह ड्रोन 4,500 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर उड़ सकता है, जिससे रडार द्वारा इसका पता लगाना मुश्किल है।

इस लोइटरिंग म्यूनिशन सिस्टम में 360 गिंबल कैमरा है, जिसमें नाइट ऑपरेशन के लिए थर्मल कैमरा लगाने का विकल्प भी है।

इसमें डिसमेंटल करके दोबारा इस्तेमाल करने की सुविधा है।

अगर लक्ष्य का पता नहीं चलता या मिशन निरस्त हो जाता है, तो इसे वापस बुलाया जा सकता है और पैराशूट का इस्तेमाल करके सुरक्षित तरीके से उतारा जा सकता है।

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नागास्त्र का वजन करीब नौ किलोग्राम है। इसे खास तौर पर सेना की सुविधा को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसमें खास इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम लगा है, जिसकी वजह से इसकी आवाज का पता नहीं लगाया जा सकता। 200 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर इसकी आवाज का पता लगाना लगभग नामुमकिन है। यह अपने लक्ष्य के ऊपर 60 मिनट तक मंडरा सकता है। यह ड्रोन एक किलोग्राम का वारहेड ले जा सकता है।

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