- रांची न्यूज़: रिम्स में सेंट्रल लैब बनकर तैयार, अब मरीजों को एक ही छत के नीचे मिलेगी जांच की सारी सुविधाएं

रांची न्यूज़: रिम्स में सेंट्रल लैब बनकर तैयार, अब मरीजों को एक ही छत के नीचे मिलेगी जांच की सारी सुविधाएं

रांची के रिम्स में 75 लाख रुपये की लागत से बना सेंट्रल लैब बनकर तैयार हो गया है, जिससे मरीजों को एक ही छत के नीचे सारी जांच की सुविधा मिलेगी. पैथोलॉजी बायोकेमिस्ट्री माइक्रोबायोलॉजी और हिस्टोपैथोलॉजी जैसी सुविधाएं मिलेंगी. मरीजों को रिपोर्ट के लिए भटकना नहीं पड़ेगा और भविष्य में उन्हें मोबाइल पर भी रिपोर्ट मिल जाएगी. लैब से एमबीबीएस की सीटें बढ़ाने में भी मदद मिलेगी, हालांकि मशीनें अभी लगनी बाकी हैं. 

रांची. रिम्स में बन रहा सेंट्रल लैब पूरी तरह बनकर तैयार है, अगले दो-तीन दिनों में भवन निर्माण विभाग इसे रिम्स को सौंप देगा, जिसके बाद रिम्स प्रबंधन इसका उद्घाटन कर जांच की सुविधा शुरू कर देगा. करीब 75 लाख रुपये की लागत से इस नए लैब का निर्माण किया गया है, जहां मरीजों को एक ही छत के नीचे सभी तरह की जांच की सुविधा मिलेगी और ऊब चुके मरीजों को अलग-अलग जांच के लिए अलग-अलग फ्लोर पर नहीं जाना पड़ेगा. 

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इस लैब में मरीजों को विभिन्न प्रकार की जांच सेवाएं प्रदान की जाएंगी, जैसे पैथोलॉजी जांच जिसमें रक्त, मूत्र, मल और अन्य शारीरिक द्रव्यों की जांच की जा सकेगी। साथ ही बायोकेमिस्ट्री जांच जिसमें रक्त में विभिन्न रसायनों के स्तर की जांच की जाएगी। माइक्रोबायोलॉजी जांच जिसमें वायरल संक्रमण और संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया की पहचान की जाएगी। 

हिस्टोपैथोलॉजी जांच जिसमें ऊतकों की जांच कर बीमारियों का पता लगाया जाएगा। क्या बोले डॉक्टर? रिम्स पीआरओ डॉ. राजीव रंजन ने बताया कि सेंट्रल लैब के निर्माण से रिम्स में मरीजों को एक ही छत के नीचे जांच सेवाएं मिलेंगी, जिससे उनका समय और परेशानी बचेगी। साथ ही लैब की आधुनिक सुविधाएं और विशेषज्ञ तकनीशियन मरीजों को सटीक और विश्वसनीय जांच परिणाम प्रदान करेंगे। मरीजों को जांच रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा, ग्राउंड फ्लोर पर ही अलग काउंटर बनाए गए हैं जहां से वे आसानी से रिपोर्ट प्राप्त कर सकेंगे। आने वाले समय में मोबाइल पर भी रिपोर्ट देने की व्यवस्था की जाएगी। 



मरीजों को मिलेंगी ये सुविधाएं

  1. एक ही छत के नीचे जांच सेवाएं

  2. आधुनिक सुविधाएं

  3. विशेषज्ञ तकनीशियन

  4. एमबीबीएस सीटें बढ़ाने में भी मिलेगी मदद

लैब बनने के बाद मरीजों के साथ ही एमबीबीएस की सीटें 250 तक बढ़ाना आसान हो जाएगा। सीटें बढ़ाने के लिए मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर, फैकल्टी और व्यवस्था को बेहतर बनाने के दिशा-निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। कहा गया कि क्षमता के हिसाब से लैब, हॉस्टल और अन्य सुविधाओं का आकलन करना जरूरी है।

लैब में अभी नहीं लगी मशीनें

सेंट्रल लैब में आधुनिक मशीनें लगाई जाएंगी। हालांकि, अभी मशीनें नहीं आई हैं। इन मशीनों में ऑटो एनालाइजर, यूरिन ऑटो एनालाइजर, कोएगुलेशन ऑटो एनालाइजर, हेमेटोलॉजी ऑटो एनालाइजर मशीनें शामिल हैं।

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लैब शुरू होने से मरीजों को 24 घंटे खून की जांच की सुविधा मिलेगी। जांच के साथ ही रिपोर्ट भी यहीं मरीजों को मिल सकेगी। अभी लैब पूरी तरह चालू होने में समय लग सकता है, प्रबंधन इसके शुरू होने का सही समय नहीं बता पा रहा है।

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