हापुड़ में स्टांप चोरी के मामले में डीएम ने 100 रुपये के स्टांप पर अपंजीकृत एग्रीमेंट कर करोड़ों रुपये का सौदा करने वाले आरोपी से 35.57 लाख रुपये की वसूली के आदेश दिए थे। इस आदेश के खिलाफ आरोपी ने कमिश्नर मेरठ के यहां अपील की थी। अब कमिश्नर मेरठ ने आरोपी की अपील खारिज करते हुए डीएम के आदेश को बरकरार रखा है। इसके चलते आरोपी को जुर्माना और स्टांप चोरी की रकम जमा करनी होगी।
हापुड़। डीएम ने जनवरी में हापुड़ में स्टांप चोरी के आरोपी से 35 लाख 57 हजार रुपये की वसूली के आदेश दिए थे। इसके साथ ही डीएम ने हापुड़ पिलखुवा विकास प्राधिकरण को भूमाफिया के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए थे।
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बताया गया था कि आरोपी ने 100 रुपये के स्टांप पर अपंजीकृत एग्रीमेंट कर 15 करोड़ से अधिक के सौदे किए थे। वहीं इसमें एक करोड़ रुपये एडवांस भी मिले थे। जिले में ऐसे दर्जनों मामले हैं। आरोपी ने डीएम के आदेश के खिलाफ कमिश्नर के यहां अपील की थी। अब कमिश्नर मेरठ ने आरोपियों की अपील खारिज कर दी है। ऐसे में उन्हें जुर्माने की धनराशि जमा करनी होगी।
यह था मामला
पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता कृष्णकांत गुप्ता ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व उन्होंने मुख्यमंत्री से अवैध कॉलोनियों को विकसित कर अवैध रूप से अर्जित धन को क्षेत्र में निवेश करने वालों की शिकायत की थी। जिसमें उन्होंने सुशांत बंसल और उसके साथी प्रेमचंद द्वारा अवैध रूप से करीब सौ करोड़ की संपत्ति अर्जित करने का मामला उठाया था।
इसके चलते मुख्यमंत्री के उप सचिव ने प्रमुख सचिव राजस्व को मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। मामले की जांच सहायक महानिरीक्षक निबंधक हापुड़ से कराई गई।
जिसमें करोड़ों के बैनामों पर लाखों रुपये की स्टांप चोरी पाई गई।
इस मामले को लेकर जिलाधिकारी के समक्ष वाद दायर किया गया था। जिसमें तत्कालीन जिलाधिकारी प्रेरणा शर्मा ने जनवरी-25 में मामले की सुनवाई कर आरोपियों पर जुर्माना लगाने का फैसला सुनाया था। जिलाधिकारी ने सुशांत बंसल और उसके साथी प्रेम चंद से स्टांप चोरी के 16 लाख 45 हजार सात सौ रुपये और 50 हजार रुपये जुर्माना वसूलने के आदेश दिए थे। साथ ही 22 अक्तूबर 2018 से 25 जनवरी तक स्टांप चोरी की रकम पर डेढ़ प्रतिशत ब्याज दर से 18 लाख साठ हजार रुपये वसूलने के भी आदेश दिए थे।
इस फैसले से जिले के भूमाफियाओं में खलबली मच गई थी। आरोपियों ने इस मामले में कमिश्नर कोर्ट में अपील की थी। उन्होंने दलील दी थी कि यह मामला स्टांप चोरी का नहीं है। इस मामले की सुनवाई फरवरी से कमिश्नर कोर्ट में चल रही थी। अब कमिश्नर मेरठ ऋषिकेश भास्कर यशोद ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है। उन्होंने मामले को सीधे तौर पर स्टांप चोरी मानते हुए डीएम के आदेश को बरकरार रखा है। साथ ही आरोपियों की अपील खारिज कर दी है। अब आरोपियों को जुर्माना और स्टांप चोरी की रकम जमा करनी होगी। इस मामले में जनवरी से जून तक का ब्याज भी जोड़ा जा सकता है।