उन्होंने संसदीय समितियों के कामकाज में डिजिटल टूल, डेटा एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को एकीकृत करने की वकालत की ताकि गहन जांच की जा सके और साक्ष्य आधारित सिफारिशें की जा सकें।
मुंबई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि भारत जल्द ही विभिन्न देशों की संसदों के साथ मैत्री समूह स्थापित करेगा। पहलगाम आतंकी हमले और अभी भी जारी 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद दुनिया का दौरा करने वाले सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों की सफलता के मद्देनजर इस पर विचार किया जा रहा है।
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महाराष्ट्र विधानमंडल में सोमवार को शुरू हुए संसद और राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों के विधायी निकायों की प्राक्कलन समितियों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर पत्रकारों से बात करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि हम संसदीय मैत्री समूह स्थापित करने पर काम कर रहे हैं क्योंकि कई देशों ने ऐसा अनुरोध किया है। अध्यक्ष का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इन प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों से मुलाकात के कुछ दिनों बाद आया है।
'कई देशों ने जताई है इच्छा'
ओम बिरला ने कहा कि कई देशों ने संसदीय मैत्री समूहों की व्यवस्था को संस्थागत बनाने की इच्छा जताई है। बिरला ने भारतीय संसद की प्राक्कलन समिति की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में महाराष्ट्र विधान भवन में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया और इस अवसर पर प्रकाशित स्मारिका का विमोचन भी किया। इस अवसर पर उनके साथ राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर भी मौजूद थे।
प्राक्कलन समितियों के अध्यक्षों को दी गई यह सलाह
ओम बिरला ने देशभर के प्राक्कलन समितियों के अध्यक्षों और सदस्यों को सलाह दी कि उन्हें अब अपने राज्यों की कार्ययोजना तैयार करने में नई तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का समुचित उपयोग करना चाहिए। बिरला ने कहा कि प्राक्कलन समिति की स्थापना 10 अप्रैल 1950 को हुई थी। इसके 75 वर्ष न केवल इसकी उपलब्धियों का उत्सव हैं, बल्कि वित्तीय अनुशासन, प्रशासनिक दक्षता और प्रणालीगत सुधारों के माध्यम से लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में इसकी उभरती भूमिका का भी प्रतिबिंब हैं।
'सरकारों ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया'
उन्होंने कहा कि पिछले दशकों में समिति एक महत्वपूर्ण निगरानी तंत्र के रूप में विकसित हुई है जो बजटीय अनुमानों की जांच करती है, कार्यान्वयन का मूल्यांकन करती है और सरकार के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए कार्रवाई योग्य सिफारिशें भी करती है। उन्होंने कहा कि समिति ने सचिवालय के पुनर्गठन, रेलवे की परिचालन दक्षता और गंगा नदी की सफाई सहित कई प्रमुख क्षेत्रों में अग्रणी योगदान दिया है और सरकारों ने समिति की 90 से 95 प्रतिशत सिफारिशों को स्वीकार किया है।
बिरला ने कहा कि संसदीय समितियां गहन बहस, रचनात्मक चर्चा और कार्यकारी जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करती हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये समितियां राजनीतिक सीमाओं के पार सूचित विचार-विमर्श को बढ़ावा देकर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। संसदीय समितियों का उद्देश्य विरोध या दोषारोपण के लिए मंच के रूप में कार्य करना नहीं है, बल्कि नीतियों की सहयोगात्मक जांच करना, सरकारी कामकाज की जांच करना और आम सहमति और विशेषज्ञता-आधारित सिफारिशों के माध्यम से बेहतर शासन में योगदान देना है।
उन्होंने संसदीय समितियों के कामकाज में डिजिटल उपकरणों, डेटा एनालिटिक्स प्लेटफार्मों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता को एकीकृत करने की वकालत की ताकि गहन जांच की जा सके और साक्ष्य-आधारित सिफारिशें की जा सकें।