बिहार के पूर्व राज्यपाल आरएस गवई के बेटे जस्टिस गवई ने मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि मेरे पिता ने बाबा साहब अंबेडकर के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था। मैं देश का पहला बौद्ध मुख्य न्यायाधीश बनूंगा। उन्होंने आगे कहा कि जब देश संकट में हो तो सुप्रीम कोर्ट तटस्थ नहीं रह सकता। आखिर हम भी इस देश के जिम्मेदार नागरिक हैं, हम भी इससे प्रभावित होते हैं।
नई दिल्ली। बुधवार (14 मई) को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने से पहले जस्टिस बीआर गवई ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर दुख जताते हुए कहा कि जब पूरा देश शोक में है, तो सुप्रीम कोर्ट अछूता नहीं रह सकता। 'जब देश संकट में है, तो सुप्रीम कोर्ट तटस्थ नहीं रह सकता। आखिर हम भी इस देश के जिम्मेदार नागरिक हैं, हम भी इससे प्रभावित हैं।'
अगर आप देश और दुनिया की ताज़ा ख़बरों और विश्लेषणों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो हमारे यूट्यूब चैनल और व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें। 'बेजोड़ रत्न' आपके लिए सबसे सटीक और बेहतरीन समाचार प्रदान करता है। हमारे यूट्यूब चैनल पर सब्सक्राइब करें और व्हाट्सएप चैनल पर जुड़कर हर खबर सबसे पहले पाएं।
youtube- https://www.youtube.com/@bejodratna646
whataapp-https://whatsapp.com/channel/0029VaAG4A190x2t7VvoGu3v
मैं देश का पहला बौद्ध मुख्य न्यायाधीश बनूंगा- जस्टिस गवई
बिहार के पूर्व राज्यपाल आरएस गवई के बेटे जस्टिस गवई ने मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में कहा, "मेरे पिता ने बाबा साहेब अंबेडकर के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था। मैं देश का पहला बौद्ध मुख्य न्यायाधीश बनूंगा।"
मैं सभी धर्मों में विश्वास करता हूं- जस्टिस गवई
उन्होंने कहा, मैं सभी धर्मों में विश्वास करता हूं। मैं मंदिर, दरगाह, जैन मंदिर, गुरुद्वारा- हर जगह जाता हूं।'' देश का पहला बौद्ध मुख्य न्यायाधीश बनने की दहलीज पर खड़े होने पर उन्हें गर्व महसूस हुआ। संवैधानिक अधिकारियों द्वारा न्यायपालिका के खिलाफ कथित तौर पर कठोर शब्दों के इस्तेमाल के मुद्दे पर जस्टिस गवई ने कहा, "लोग कुछ भी कहें, लेकिन संविधान सर्वोच्च है। केशवानंद भारती की अध्यक्षता वाली 13 जजों की बेंच के फैसले में यह बात कही गई है।
" भारत-पाकिस्तान संघर्ष और उसके बाद हुए संघर्ष विराम के बारे में उन्होंने कहा, "युद्ध अच्छी चीज नहीं है। हमारे सामने युद्ध के दो उदाहरण हैं, जो अभी भी जारी हैं। यूक्रेन में कितने दिनों से युद्ध चल रहा है और हमें इससे क्या मिला? मतलब, युद्ध से कुछ हासिल नहीं हुआ।" दो मिनट का मौन रखा जाएगा 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बारे में उन्होंने कहा कि सुबह अखबारों से जब उन्हें इस घटना के बारे में पता चला तो उन्हें बहुत दुख हुआ।
हमले के बाद सुप्रीम कोर्ट में हुए घटनाक्रम की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा, ''उस समय चीफ जस्टिस देश से बाहर थे। उनसे संपर्क किया गया। तब हमने तय किया कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले में जान गंवाने वालों के लिए दो मिनट का मौन रखा जाएगा और ऐसा किया गया।''
आखिर हम भी इस देश के जिम्मेदार नागरिक हैं
उन्होंने कहा, ''आखिर हम भी इस देश के जिम्मेदार नागरिक हैं, हम भी इससे प्रभावित हैं। जब देश शोक में होता है तो सुप्रीम कोर्ट इससे अछूता नहीं रह सकता। जब देश संकट में होता है तो सुप्रीम कोर्ट तटस्थ नहीं रह सकता।''