- मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पूछा- ओबीसी को आबादी के अनुपात में आरक्षण का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पूछा- ओबीसी को आबादी के अनुपात में आरक्षण का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा

ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation in MP) के मामले में सरकार ने 10 दिन की मोहलत मांगी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने एक महीने की मोहलत दे दी। ओबीसी आरक्षण को लेकर दायर सभी 86 याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई अब 20 जनवरी 2025 को तय की गई है। अंतिम सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ओबीसी आरक्षण कानून की वैधानिकता पर अपना फैसला सुनाएगा।

हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार से पूछा है कि अन्य पिछड़ा वर्ग को उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है। इस संबंध में सरकार को जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।

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 अधिवक्ता संघ लोकतंत्र एवं सामाजिक न्याय ने ओबीसी वर्ग को उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह तथा राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता हरप्रीत सिंह रूपरा और अमित सेठ ने पैरवी की।

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10 दिन की जगह एक माह का समय दिया

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की पीठ ने सरकार से पूछा कि क्यों न ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का अंतरिम आदेश देकर इसके अधीन सभी याचिकाओं पर अंतिम निर्णय कर दिया जाए। इस पर सरकार ने आपत्ति जताई और कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता इन मामलों में अपना पक्ष रखेंगे।

मामले को पांच भागों में बांटें

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता प्रशांत सिंह को निर्देश दिया कि ओबीसी आरक्षण से जुड़े सभी मामलों को पांच भागों में वर्गीकृत किया जाए। पहली वे याचिकाएं हैं जो ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के खिलाफ हैं और दूसरी वे जो इसके समर्थन में हैं।

एक श्रेणी में वे मामले रखे जाएं जिनमें सामान्य प्रशासन विभाग और महाधिवक्ता की राय के अनुसार 87:13 प्रतिशत के फार्मूले को चुनौती दी गई है। एक श्रेणी में वे याचिकाएं रखी जाएं जिनमें अभ्यर्थियों की नियुक्ति को चुनौती दी गई है। वहीं, पांचवीं श्रेणी में ओबीसी को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण दिए जाने की मांग वाली याचिकाएं शामिल की जाएं।

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मंदिर की जमीन बेचने पर 20 दिसंबर तक जवाब मांगा

हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने मंदिर की जमीन बेचने के रवैये पर जवाब मांगा है। इस संबंध में राज्य सरकार, प्रमुख सचिव, कलेक्टर टीकमगढ़, एसडीएम और टीआई समेत अन्य को नोटिस जारी किए गए हैं। अगली सुनवाई 20 दिसंबर को तय की गई है।

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 जनहित याचिकाकर्ता खेमचंद अहिरवार की ओर से मामला पेश किया गया। तर्क दिया गया कि ग्राम बगौरा जिला टीकमगढ़ में ग्रामीणों के सहयोग से हनुमान मंदिर की स्थापना की गई थी। हनुमान मंदिर सरकारी जमीन पर बनाया गया था। मंदिर लोगों की आस्था का प्रतीक है और बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं।

 

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