MP School News: उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य एसएल अहिरवार ने बताया कि तीनों भाई 1955 में इसी स्कूल में पढ़ते थे। 1958 की बोर्ड परीक्षा में देवेंद्र कुमार शुक्ला ने मप्र में नौवां स्थान प्राप्त किया था। जबकि सत्येंद्र कुमार शुक्ला ने 13वां स्थान प्राप्त किया था।
दमोह के उत्कृष्ट विद्यालय के तीन पूर्व छात्रों ने अपनी मां की स्मृति में 40 लाख रुपए की लागत से कंप्यूटर लैब के लिए भवन बनवाया है, जो आज छात्रों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। क्योंकि इस स्कूल का रिजल्ट हर साल जिले में अव्वल रहा है। इसके चलते यहां बच्चों की संख्या भी काफी अधिक है। इन बच्चों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह और लैब की कमी आड़े आ रही थी।
जब स्कूल के तीन पूर्व छात्रों को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने 40 लाख रुपए की लागत से स्कूल के लिए सर्वसुविधायुक्त भवन बनवाया। वर्तमान में इस भवन में आईटी लैब, सुरक्षा लैब, व्यावसायिक शिक्षा आईटीसी कंप्यूटर लैब संचालित हो रही है। इसके अलावा इस नए भवन में कक्षा नौ की तीन कक्षाएं भी संचालित हो रही हैं। जबकि भवन के ऊपरी हिस्से में जिले का सबसे बड़ा प्रशिक्षण हॉल बनाया गया है। जहां एक साथ 200 से अधिक लोगों के बैठने की व्यवस्था है।
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इसके चलते शिक्षा विभाग का अधिकांश प्रशिक्षण इसी हॉल में दिया जाता है। हालांकि धन की कुछ कमी के चलते इसका निर्माण अभिभावक-शिक्षक संघ द्वारा कराया गया था। आपको बता दें कि विद्यालय के पूर्व छात्र देवेंद्र कुमार शुक्ला, सत्येंद्र कुमार शुक्ला और जितेंद्र कुमार शुक्ला ने 40 लाख रुपये की लागत से विद्यालय में इस लैब भवन का निर्माण कराया है। वर्तमान में ये तीनों भाई मुंबई में रहते हैं। इनमें जितेंद्र कुमार शुक्ला आयकर आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। देवेंद्र कुमार शुक्ला केंद्रीय खुफिया ब्यूरो के पद पर रहे और छोटे भाई सत्येंद्र कुमार शुक्ला रेलवे में चीफ इंजीनियर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।
स्कूल के बोर्ड पर हैं टॉपर भाइयों के नाम
उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य एसएल अहिरवार ने बताया कि तीनों भाई 1955 में इसी स्कूल में पढ़ते थे। 1958 की बोर्ड परीक्षा में देवेंद्र कुमार शुक्ला ने मप्र में नौवां स्थान प्राप्त किया था। जबकि सत्येंद्र कुमार शुक्ला ने 13वां स्थान प्राप्त किया था। आज भी स्कूल के बोर्ड पर टॉपर्स की सूची में इन दोनों भाइयों के नाम अंकित हैं। वे समय-समय पर अपने पैतृक नगर आते रहते हैं। कुछ माह पहले वे दमोह आए थे और अपने स्कूल में बिताई पुरानी यादें और उस समय की शिक्षा व्यवस्था के बारे में अपने विचार साझा किए थे।
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कठिन परिस्थितियों में बीता बचपन
सत्येंद्र शुक्ला ने बताया कि उनका परिवार 1955 में दमोह के बिलवारी मोहल्ले में रहता था। पिता रायगढ़ में ओएफओ थे। युवावस्था में ही उनका निधन हो गया। परिवार की जिम्मेदारी उनकी मां पर आ गई। मां सावित्री देवी ने कठिन परिस्थितियों में तीनों भाइयों को पढ़ाया। इसलिए तीनों भाइयों ने अपनी मां की याद में एक्सीलेंस स्कूल में बच्चों के लिए सभी सुविधाओं से लैस एक आधुनिक कंप्यूटर लैब बनाने का फैसला किया। जिसे तीनों ने मिलकर बनाया। उन्होंने बताया कि हमें खुशी है कि हम अपने स्कूल के लिए कुछ कर पाए।